अयोध्या में बृजभूषण की रैली को नहीं मिली इजाजत, प्रशासन से पंगा लेने के मूड में संत

अयोध्या में संत समाज और प्रशासन आमने-सामने हैं. भारतीय जनता पार्टी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में पांच जून को राम कथा पार्क में प्रस्तावित कार्यक्रम को प्रशासन की अनुमति नहीं मिली है. बावजूद इसके संत समाज न तो कार्यक्रम स्थगित करने के पक्ष में है और न ही आयोजन स्थल पर कोई समझौता करने जा रहा है. अगर कोई बीच का रास्ता नहीं निकला तो टकराव तय है. लक्ष्मण किलाधीश महंत मैथिली रमण शरण ने कहा कि कार्यक्रम पहले से तय है. सारे इंतजाम किए जा रहे हैं. ऐसे में इस कार्यक्रम को टालना किसी भी सूरत में अनुचित माना जाएगा.

उन्होंने स्पष्ट कहा कि हम शांतिपूर्वक अपना कार्यक्रम करेंगे. जिलों-जिलों तक सूचना भेजी जा चुकी है. अगर कार्यक्रम नहीं हुआ तो लोग निराश होंगे और हम ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते. कार्यक्रम से जुड़े महंत गौरीशंकर दास ने कहा कि कोई टकराव नहीं होगा. प्रशासन हमारे अनुरोध को स्वीकार करेगा. कार्यक्रम की अनुमति देगा. महंत घनश्याम दास ने स्वीकार किया कि इस सिलसिले में श्रीराम कथा पार्क का अनुरोध किया गया था लेकिन प्रशासन ने आवेदन को खारिज कर दिया है.

रेजिडेंट मजिस्ट्रेट संदीप कुमार ने कहा कि इस आयोजन की अनुमति नहीं दी गई है. एसपी सिटी एमके सिंह का कहना है कि उनके सामने अभी तक कोई आवेदन नहीं आया है. जो कुछ भी होगा, शाम तक तय होने उम्मीद है. सांसद बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में बीते सोमवार अयोध्या के अनेक मंदिरों के महंत एक साथ आए. वैदेही भवन में आयोजित बैठक के बाद संतों ने कहा कि ऐसा देखा जा रहा है कि पाक्सो एक्ट का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है. इस पर अंकुश लगाए जाने की जरूरत है. सरकार को चाहिए कि वह इस मसले को संज्ञान ले और कानून में जरूरी संशोधन करे.

संतों ने कानून का दुरुपयोग करने वालों पर कार्रवाई की मांग भी की. इस बैठक की अध्यक्षता मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने की. उन्होंने कहा कि इस तरह के मुकदमे दर्ज होने के बाद कोई भी व्यक्ति शर्मिंदगी का सामना करता है. कई बार अदालत से निर्दोष साबित होने के बाद भी आरोपित अपराध बोध से ग्रसित रहते हैं. यदा-कदा अवसाद में आने के बाद खुदकुशी की घटनाएं भी प्रकाश में आती रही हैं. हम सब मिलकर पांच जून को रामकथा पार्क में आयोजित जन चेतना रैली में आगे की रणनीति तय करेंगे.

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