केंद्र सरकार रखेगी योजनाओं के लिए दी गई पाई-पाई का हिसाब

भोपाल: केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए दी गई राशि का उपयोग अब राज्य सरकारें दीगर कामों में नहीं कर सकेंगी। केंद्र से मिली राशि के खर्च के पाई-पाई का हिसाब रखने के लिए अब राज्य सरकार को एक ऐसा खाता खोलना होगा जिसकी सीधी निगरानी केंद्र सरकार कर सकेगी। इस खाते का सीधा लिंक केंद्र के संबंधित विभाग से जुड़ा होगा और केंद्र यह जान सकेगा कि किस जिले में किस योजना में राशि का भुगतान किसे किया गया है।

इतना ही नहीं राज्य के जिलों में इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी पर भी लगाम कसने का इंतजाम किया गया है। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद वित्त विभाग ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव तथा बजट नियंत्रण अधिकारी के रूप में काम करने वाले सभी विभागाध्यक्षों को इस पर अमल के निर्देश दिए हैं।

वित्त विभाग द्वारा इसको लेकर जारी निर्देश में कहा गया है कि केंद्र प्रवर्तित योजनाओं (सेंट्रल स्पांसर्ड स्कीम) की राशि दिए जाने और उसके उपयोग की मानीटरिंग के लिए केंद्र सरकार के आदेश पर नया सिस्टम लागू करना है। अभी जो व्यवस्था है उसके मुताबिक सीएसएस (सेंट्रल स्पांसर्ड स्कीम) से संबंधित राशि का आहरण और भुगतान कोषालय के माध्यम से विभागीय अधिकारियों द्वारा किया जाता है। इस खर्च का डेटा आईएफएमआईएस-पीएफएमएस इंटीग्रेशन के तहत पीएफएमएस पोर्टल को रोज शेयर किया जाता है।

अब जो व्यवस्था तय की गई है, उसके अंतर्गत हर सीएसएस में (अंब्रेला योजना के संदर्भ में हर उपयोजना के लिए) एक सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) बनाई जाएगी। इसका एक अलग बैंक खाता खोला जाएगा। इसका पंजीयन पीएफएमएस में किया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा सीएसएस में दी गई राशि से तय समय सीमा में केंद्र और राज्य सरकार के अंश आहरित कर एसएनए के खाते में जमा किए जाएंगे। इसके माध्यम से केंद्र इसको वॉच करता रहेगा।

वित्त विभाग ने कहा है कि हर योजना के लिए या फ्लैगशिप योजना के संबंध में हर उपयोजना के लिए अलग-अलग एसएनए बनाया जाएगा। इसके लिए एक अधिकारी तैनात किया जाएगा जो इस योजना के लिए राज्य का नोडल अधिकारी होगा। एसएनए के साथ जिलों में काम करने वाली इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी के खाते एक ही बैंक में खोले जाएंगे और जो राज्य शासन के वित्त विभाग की शर्तों को पूरा करते हैं। इसमें यह भी ध्यान रखना होगा कि ये बैंक भारत सरकार द्वारा अपेक्षित सुविधाएं प्रदान करते हों। एसएनए की जिम्मेदारी होगी कि वह सभी इम्प्लीमेंट एजेंसी को सूचीबद्ध करे।

इम्प्लीमेंट एजेंसियों द्वारा खोले गए खाते जीरो बैलेंस पर खोले जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया में खास बात यह होगी कि इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी जो खाता खोलेगी उसमें इम्प्लीमेंट अफसर को खाते में राशि नहीं दिखेगी लेकिन जितने रुपए का बिल लगेगा, उसका भुगतान हो जाएगा। यह काम विभागाध्यक्षों को 25 जून तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए जिलों में प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम भी तय किया गया है।

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